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Amit Kori

Others

5.0  

Amit Kori

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सपना

सपना

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भूल गया जो मोड़ पर रुकना 

अपनी हर नादानी तकना 

रातों की नींदों में फ़सकर 

देखा एक अज़ब सा सपना 


आँखों की पलकों के नींचे

बदल दिया दुनिया का चश्मा

देखी मैंने ऐसी एक दुनिया 

जहाँ न कोई देखे सपना 


उस दुनिया की बात न पूछो 

आँखों की दरख्वास्त न पूछो 

रात पराई ख़ामोश खड़ी थी

लगता सपनो की भूखी थी


फ़र्क बड़ा न इस दुनिया में

उस दुनिया से इस दुनिया में 

वहा न कोई देखे सपना 

यहाँ न देखने दे कोई सपना 


आँखों के आगे है सपनें

सपनों से पीछे ये दुनिया

वही यहाँ का महाराजा है 

रातों को देखें जो सपना 


आँखें खोलो उठ जाओ अब 

इस दुनिया का हो जाओ अब 

देखे जो सपनें रातों में 

उनको अब है पूरा करना


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