संत तुकाराम
संत तुकाराम
समाज सुधारक, संत, महात्मा का महाराष्ट्र भूमि को वरदान,
उसी कडी में संत तुकाराम सत्रहवीसदी में आगमन
तुकोबा के जन्म से देहुभूमि बनी पावन,
बहती इंद्रायनी की धारा सुनाती तुकोबा भक्तिगाण
तुकाराम में वारकरी को दिखते नामदेव के दर्शन,
नामदेव जैसे, अभंग, किर्तन से तुकोबा परिपूर्ण
पांडुरंग वारकरी भक्तों का दृढ़ कथन,
जैसे नामदेव महा भूमि पुनः अवतार ग्रहण
सुख-दुःख, आशा-निराशा, राग-लोभ, मानवी अवगुण,
सांसारिकों को दिखाया मार्ग, संसार त्याग बिना प्रभु चिंतन
कर्म-काण्ड, पाखंड, धार्मिक दुष्टों का करके निर्दलन,
ईश्वरी भक्ति मार्ग, भक्तों के लिए अनोखा उदाहरण
पुश्तैनी धंधा पांडुरंग सी अर्पण,
रहे पांडुरंग भक्ति में सदा तुकोबा मगन
घर गृहस्थी की डोर पांडुरंग चरणी अर्पण,
अभंग- कीर्तन से उच्चकोटी उपदेश बहुजन
सहिष्णुता, समता , प्रेम की उपदेशवाणी,
राम-कृष्ण-हरी, मंत्रजप से तुकोबावाणी
मिल-जुल के रहे बंधु भाव से सभी बहुजन,
पांडुरंग की कृपादृष्टि सभी पर एक समान.
कहे तुकोबा, हम सब है पांडुरंग की संतान,
आओ मिल के गाते सभी पांडुरंग के भक्त्तिगाण
देहु-पंढरपुर वारकरी यात्रा आजीवन,
हिंदु धार्मिक सुधार से प्रेरित करे भक्तजन
अपने अभंग- कीर्तनों से करें समाज सुधार आंदोलन,
सरल भाषा में करे अध्यात्म ज्ञान का प्रकटीकरण
भवसागर पार करे सभी वारकरी भक्तजन,
पंढरपुर के पांडुरंग का करके नित्य नाम स्मरण
जगदगुरु का किताब से भक्तों ने किया सम्मान,
तुकोबा की अभंग गाथा है जग प्रसिद्ध लिखान
मोक्ष प्राप्ति का ईश्वर का था वचन,
तुकोबा को लेने आया पुष्पक विमान.