सन्नाटा
सन्नाटा
पता नहीं क्यों
ये सन्नाट आज ...
मन को भा रहा है
नहीं लग रहा कोई डर ।
हाँ.....
डर दूर हो रहा है
करोना की आत्मा
खात्मा हो ही जाए
यही प्रभु से आस।
कर्फ़्यू अपने मन से
सबका देख साथ
अच्छा लग रहा है
वैसे जब सब मिलें
तो सफलता मिलती है ।
एकता में बल है....
रही बात करोना की
उस पापी के लिए यही ठीक है
बात वायरस से लड़ने की
पर आज घर बैठे
कई गिले शिकवे मिटा दिए
दूर बैठे अपनों से
हाल पूछ कर
अपने हाल भी बता दिए।
बार बार खिड़की से झाँकना
सन्नाटे को पढ़ना
उसकी भाषा समझना
एक सुकून का आभास ।
सब ठीक होगा
दिल ने कहा ...
आज पहली बार
इस सन्नाटे से हुआ प्यार
चाहती हूँ एक नहीं
दो दिन चल जाए
बचा खुचा करोना भी
दुम दबा भाग जाए ।
