संकल्प हुआ पूरा
संकल्प हुआ पूरा
जो संकल्प ले लिया है गर तो , रखें बनाए पूरी मर्यादा उसे निभाने में।
डिगें कभी ना दिए वचन से, पूरी शक्ति से लगे रहें हम तो उसको पाने में।
एक मित्र के ज्येष्ठ पुत्र की शादी में, जिसमें पूरे परिवार का आमंत्रण था।
जो न आ सके कहीं सब परिजन, मैं अवश्य आऊंगा ऐसा मन में प्रण था।
उस दिन रहीं ऐसी कुछ परिस्थितियाॅ॑ , पत्नी-बच्चे तो अति व्यस्त हुए।
मुझे निभाना था वह वादा, और पूर्ण करना था संकल्प जो मन में किए हुए।
अब तो चाहे सुख हो-दुख हो, प्रश्न न कोई अब है पीछे कदम को लाने में।
जो संकल्प ले लिया है गर तो,रखें बनाए पूरी मर्यादा......................
अपने कुछ साथी मित्रों का भी ,मेरे जैसा ही उनके संग में एक वादा था।
सारे परिजन तो नहीं पहुंच रहे, पहुंचें हम सब यह पक्का एक इरादा था।
शीतल बयार बहे शीत ऋतु में, बारिश के बनते थे सारे आसार वहां ।
पूरा करना था जो संकल्प किया ,अब इसका कोई तो विकल्प भी कहां?
हम तो अब नहीं सकेंगे रुक, अब मौसम तो चाहे माने या फिर ना माने।
जो संकल्प ले लिया है गर तो रखें , बनाए पूरी मर्यादा.......................
तयशुदा वक्त पर होकर तैयार , हम चार मित्र कर दृढ़ विचार।
फिर किए बिना कुछ इंतजार, हम निकल पड़े लेकर के कार।
मौसम -मिज़ाज होता बदतर, पर ठानी हमने एक कठिन रार।
संकल्प नहीं हम बदलेंगे, चाहे बदले धरती-अंबर या यह संसार।
चारों ही बढ़ चले मंजिल पर, अब जो भी हो अंज़ाम प्रभु जाने।
जो संकल्प ले लिया है गर तो ,रखें बनाए पूरी मर्यादा.............
हो गयी शुरू बूंदाबांदी,पर हम सब आगे ही बढ़ते गए।
धारण किया उग्र रूप बारिश,ओले गिरने भी शुरू हुए।
दृढ़ निश्चय भीषण बारिश भी,ना तोड़ सकी हम पहुंच गए।
उत्सव में शामिल हुए सभी, मन में उत्साह और उमंग लिए।
देख सखा का हर्षित चेहरा, हम हर्ष की सीमा ना जाने ।
जो संकल्प ले लिया है गर तो रखें बनाए पूरी मर्यादा......
कर सकें बयां ना उस सुख को, जो संकल्प निभाकर पाया था।
संकल्प परीक्षा की ही खातिर ,यह बारिश का मौसम आया था।
हालात पराजित हमने किए, और संकल्प तो हमारा जीत गया।
संकल्प सिद्ध हुआ जब अपना, तन-मन में सबके तब हर्ष हुआ।
मन में आई अत्यंत खुशी,सीमा आत्मा जाने या परमात्मा जाने।
जो संकल्प ले लिया है गर तो,रखें बनाए पूरी मर्यादा..........
