संबंध
संबंध
एक खूबसूरत सा शब्द है संबंध।
स्वयं दो शब्दों के बंधन से बना है,
संबंध।
सम और बंध आपस में मिले,
तो बनता है एक खूबसूरत सा शब्द,
संबंध।
सम का अर्थ होता है परिपूर्ण।
बंध का अर्थ होता है बंधन।
दोनों शब्दों का अर्थ मिले तो,
संबंध शब्द का एक खूबसूरत
अर्थ होता है,
परिपूर्ण बंधन।
हमारे हर ओर हैं संबंध ही संबंध।
जन्म लेते ही मिल जाते हैं संबंध।
जन्म लेने से भी पहले मिल जाए जो,
होता है एक ऐसा भी खूबसूरत सा संबंध।
सबसे पवित्र, सबसे सुंदर
और
सबसे मधुर सा बंधन होता है,
एक माँ और बच्चे का संबंध।
माता से ही जुड़ता है,
पहला संबंध।
पिता से जुड़ता है, दूसरा संबंध।
भाई या बहन से जुड़ता है,
फिर एक नटखट संबंध।
बाकी सब होते हैं, दूर के संबंध।
माँ ही है, दुनिया की सबसे सच्ची संबंधी।
बाकी संबंधी चाहते हैं बस,
अपने स्वार्थ की सिद्धि,
स्वार्थ की सिद्धि।
कभी-कभी किसी अनजान से,
जुड़ जाते हैं,
मन के भी संबंध।
मन के भी संबंध।
हमारे चारों ओर है,
संबंध ही संबंध।
बस खत्म होते जा रहे हैं,
इंसानियत के संबंध।
भावनाओं से परिपूर्ण व्यक्ति ही,
बना सकता है,
इंसानियत के संबंध।
किसी का दुख महसूस कर सकोगे जिस दिन,
उस दिन बन जाएगा,
उससे खुद ही संबंध।
उसे ही कहते हैं,
इंसानियत का संबंध।
इंसानियत का संबंध।
मन को अपार सुकून देते हैं,
इंसानियत के संबंध।
इंसानियत के संबंध।
एक कला है,
जोड़े रखना सब से संबंध।
थोड़ा सा झुकना पड़ता है,
निभाने के लिए संबंध।
विश्वास हो, तो ही टिक पाते हैं
यह संबंध।
हमारी वास्तविक पूँजी होते हैं,
यह सच्चे संबंध।
अनमोल होते हैं संबंध।
हर किसी से निभाने की उम्मीद ना रखना,
यह संबंध।
जोर जबरदस्ती से नहीं,
जोड़े जा सकते संबंध।
मन में प्यार हो अपार,
तो ही जिंदा रहते हैं, यह संबंध।
जरा से अलग होते हैं,
बंधन और संबंध।
बांधने से बंध जाए,
तोड़ने से टूट जाए,
वह है बंधन।
अपने आप ही जुड़ जाए और
कभी भी ना टूटे,
वह है संबंध।
हमेशा दुख देते हैं बंधन
परंतु
सुख से परिपूर्ण होते हैं, निस्वार्थ संबंध।
आज के जमाने में,
स्वार्थ पर ही टिके हैं
संबंध।
बहुत कम लोग निभाते हैं,
नि:स्वार्थ संबंध।
पाँच सीढ़ियों पर टिके होते हैं,
यह संबंध।
किसी को देखना
फिर उसका अच्छा लगना
उसे चाहना
फिर उसे पाना
इन चार सीढ़ियों में,
सरल से लगते हैं, यह संबंध।
उसके बाद पाँचवीं सीढ़ी
अर्थात्
निभाने पर टिके होते हैं,
यह संबंध।
अंतिम सीढ़ी में,
जरा कठिनाई से गुजरते हैं,
यह संबंध।
एक कला है,
किसी से संबंध जोड़ना।
परंतु
एक साधना है,
किसी से संबंध निभाना।
जो कभी चाहो,
संबंध का अर्थ जानना।
तो हो सके तो,
संबंधों को निभा कर दिखाना।
