STORYMIRROR

Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Others

4  

Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Others

संभल के चल

संभल के चल

1 min
239

संभल के चलना, कठिन डगर हैं,

जीवन जन का, कभी न अमर है।

सुख दुख सहना, फिर है चलना,

हालत ये हर जन की, घर घर है।


संभल के चल, कोई साथ न देगा,

हिसाब वो ईश्वर, सबके ही लेगा।

हँस ले गा ले, चंद दिन की जिंदगी,

सह ले उतना, जितने दर्द वो देगा।।


संभल के चलना, न साथी अपना,

जिंदगानी का देखा, हसीन सपना।

धरे रह जाते हैं, महल और चौबारे,

बस दाता का नाम, हरदम रट ले।।


संभल के चलना, हैं कांटे डगर में,

यादें बसी रहती, हरदम ही जिगर में।

पाया जिसने जीवन, छोड़ के है जाना,

अमर नहीं रहता कोई, इस नगर में।।


जन लेता जन्म जग, सुख दुख पाने,

कभी शाबासी तो, कभी मिले ताने।

भव सागर को का होगा जरूर पार,

जीवन क्या होता है, कभी तो जाने।।


सुख दुख का मिले, सुंदर सा गहना,

साधु संतों का बस यही तो कहना।

लोक लाज, मर्यादित ही जन रहना,

हर कष्ट दिल पर यूं, बस पड़े सहना।।


धन कमाता रहता, वो जोर शोर से,

नहीं डर लगता उसको, इस शोर से।

हो जाता है एक दिन शोर में ही गुल,

सोच समझ लेना, बहुत ही गौर से।।


संभल के चल, अब भी समय बाकी,

गमों को मत बूझा, पी-पीकर साकी।

घमंड ही सारा पल में बस टूट जाये,

बस जिंदगी की गहराई है जन आंकी ।।



Rate this content
Log in