समुंदर
समुंदर
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मैं पानी का कतरा ही सही
मेरा वजूद तो है
समुंदर को मेरा इंतजार तो है
फिर क्यों भागता हूँ मैं
अपनी नियति स्थगित क्यों करता हूँ मैं
मैं मेरे वजूद को हासिल करना चाहता हूँ
कहाँ तक मैं भाग सकता हूँ
एक दिन वह पानी का कतरा
समुंदर में गिर गया और
समा गया सागर में
और बन गया महासागर।।
