स्मृति स्कूल की
स्मृति स्कूल की
पढ़ते लिखते और सीखते, जब हम सब जाते हैं स्कूल
कभी कहीं ऐसा भी हो जाता ,जिसे नहीं हम सकते भूल।
तीसरी कक्षा में मैं पढ़ता था ,पंद्रह अगस्त का वह दिन था
जाना जो आजादी बारे में ,उससे बड़ा प्रफुल्लित मन था।
स्कूल के उस कार्यक्रम में मुझे ,देशभक्ति का गीत सुनाना था
रंग-बिरंगी पोशाक मिली इस खातिर ,यह अहसास सुहाना था।
हफ्ते भर से अभ्यास कर रहा ,था घर -आंगन और बाग में
कमी कोई भी रह ना जाए गीत में ,सुनाना है सुन्दर से राग में।
सभा शुरू हुई विद्यालय में प्रांगण में, तिरंगा ध्वज लहराता था
सुन्दर देशभक्ति के गाने सुनकर के, हर मन हर्षित हो जाता था।
कई कार्यक्रमों के बाद कहीं तब ,मेरी अपनी बारी आई थी
बड़ी ही तन्मयता के संग मैंने ,प्रस्तुति अपनी सबको सुनाई थी।
खूब सराहा था उसको सबने ,और ताली जमकर बजाई थी
चार चाॅ॑द लग गए खुशी में ,गीतों की पुस्तक इनाम में पाई थी।
लेकर इनाम मैं घर पर आया तो ,अम्मा अति हरषाईं थीं
मेरी मनपसंद खीर बनाई थी, और प्यार से मुझे खिलाई थी।
जीवन में और अनेक भी मौके, खुशी के उसके बाद भी आए
मगर खुशी का यह पहला मौका ,आज तक भूल नहीं हम पाए।
