सखी
सखी
कविता तू है मेरी प्यारी सखी
शायद सबसे न्यारी सखी
जब चाहूँ तुझ से बातें करूँ
जब चाहूँ दिल खोला करूँ
उदासी मेरी दूर हो जाती है
जब तेरी आगोश में आती हूँ
कुछ अपनी बातें कहती हूँ
मन हल्का कर जाती हूँ
मन का सुकून है तुझ में पाया
मेरी सखी, मेरा मन हर्षाया
दिल न लगे तुझ में खो जाऊँ
खुश होऊँ तुझ से बतियाऊँ
तू मेरा विश्वास, मेरा संसार है
तू मेरी शान, दिल का जहाँ है
तू मेरे मन की उमंग है
तू मेरी अभिव्यक्ति है
तू मेरी सबसे प्रिय सखी है
तू मेरे मन की कविता है
न डर किसी स्वार्थ का
न डर विश्वासघात का
तू मेरा संबल है
तू मेरी पहचान है
तू है मेरी प्यारी सखी
दुनिया में सबसे न्यारी सखी।