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Prerna Karn

Others

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Prerna Karn

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सिसकियां उसकी

सिसकियां उसकी

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सिसकियां कुछ कह रही थी उसकी,

जानें क्यों चुप-सी रो रही थी,

सबकी नजरों से छुप रही थी,

आँखें बार-बार मींच रही थी ।


मुझे कहा था एक बार,

बड़ी मुझे हो जाने दो,

फिर देखना कैसे मैं,

करूँगी सबका विकास ।


छोटी-सी है बड़ी भोली-सी है,

पर, सयानी जैसी बातें उसकी,

शब्दों को भी खूब समझती,

बड़ों का है सम्मान वो करती ।


जानें क्यों वो दूर खड़ी थी,

छुप-छुप कर सबको देख रही थी,

मैं था थोड़ी जल्दी में,

बात रह गई ज़ेहन में ।


पल-पल उसकी याद आ रही,

मानों हृदय रूदन से मुझे पुकार रही,

घर जाकर मैं पूछूँगा,

प्यार से गले लगाऊँगा ।


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