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Kavita Sharrma

Others

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Kavita Sharrma

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सहयोग

सहयोग

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अपनों का साथ बनाये रखें

दूर कितने ही रहे लेकिन 

मन से रिश्तों को महकाए रखें 

रुठा हो अगर अपना कोई 

तो मना लो क्षमा माँगकर

दूरियाँ दूर रहने से नहीं

अहं से बढ जाती हैं अक्सर 


प्रेम की इस डोर का नहीं है कोई मोल

सुख-दुख में सबका साथ है बडा अनमोल

मुश्किल रास्ते हों आसां

गले लगा ले जब कोई अपना

प्यार से अपनी बाहें खोल 

किसका साथ कितने पल का है यहाँ 

दूर रहकर क्यों करते रहें गिला

कुछ कदम विश्वास से बढाओ उनकी ओर

रिश्तों की फिर से शायद बन जाये

मजबूत डोर।


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