STORYMIRROR

Anima Das

Others

2  

Anima Das

Others

शून्यता

शून्यता

1 min
14.2K


मैं शून्य हूँ

स्थिरता से अस्थिरता तक

तारामंडल से भूमंडल तक

शब्दों की चहलपहल

बिंदुओं को जोड़ती रेखाएँ

प्रकृति की गरिमा है

जहाँ कण कण में ऊर्जा है

वहाँ मैं शून्य हूँ......।

 

सूर्यबिंब की कनक राशि

उजाले को द्विगुणित करे

मोगरे की सुगंध पवन को भी मोहित करे,

जहाँ धाराएं झरनों का मधुर संगीत बने...

वहाँ मैं शून्य हूँ.....।

 

गगन की विशालता अनंत है

मेघों के जलकण प्राणमय हैं

है काया हीन अटूट बंधन जीवों से

जीवन के जहाँ हर बिम्ब में प्रकाश है..

कविताओं का अतल समंदर है

वहाँ में शून्य हूँ.......।

 

ये विशाल धरती हर प्रकार के झंझावात को सहन करती है

सत्यता की अनुभूति यहाँ मनुष्यता परखती है

हीनता की बवंडर में लीन मनुष्यता अविरत साँस लेती है...

यहाँ अहं को विसर्जित करती हूँ

इसलिए मैं शून्य हूँ....

मैं शून्य हूँ.........।

 


Rate this content
Log in