श्री राम जी तो आ गए
श्री राम जी तो आ गए
वानर सेना संग लेकर आ गए श्री राम जी,
लक्ष्मण, भरत,शत्रुघ्न संग न्यायालय पहुंच गए हनुमान जी।
त्रेता युग के अयोध्या नाथ कलयुग में फिर आ गए,
न्याय मंदिर को खाली पाकर राम जी फिर बोल पड़े-
“देखो तो जरा हनुमान न्यायाधीश कहां रह गए।”
कुछ देर बाद न्याय क प्रभु शरण में आ पड़ा,
राम जी की सेना को फिर वकील अपने कक्ष में ले चला।
द्वार पर खड़े देख वानर सेना को जनता अचंभित हो पड़ी,
राम जी को सामने पाकर देश की जनता खुशी से रो पड़ी।
बाबरी की घटना का नाम सुन खोल गए हनुमान जी,
बैठे-बैठे सोच में बोले श्री राम जी-
“लिया जन्म मर्यादा पुरुषोत्तम बन त्रेता युग में,
जीवन जिया बन त्यागी ताकि,
आने वाला युग मर्यादित रह सके,
देखो आज कटघरे में स्वयं भगवान को लाया जा रहा है,
देश मेरा लोग मेरे मुझे न्यायालय
में अपनों द्वारा घसीटा जा रहा है।
सोचता हूं मर्यादा वाले का अवतार लेकर
अपनों को ही एक नहीं कर सका मैं।
दुखी प्रभु को फिर जामवंत जी द्वारा शांत कराया गया।
मंदिर के मसले ने कितनों को मौत दी,
अल्लाह क्या राम क्या भाई सब एक हैं।
रक्त तेरा और क्या रक्त मेरा सब का रंग लाल है,
फिर क्यों भारत देश में मचा धर्म के नाम पर बवाल है।
घंटों इंतजार बात छोटे अंगद बोल पड़े-
श्री राम जी तो आ गए जज साहब कहां रह गए।