बचपन
बचपन
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आज बाज़ार घूम आया माँ के साथ,
वो बाज़ार
जहाँ माँ की उंगली पकड़
दुनिया देखने चले थे,
वो रंगीन दुनिया,
वो खिलौनों के ठेले,
सब याद आ गए यार ।
वो खिलौनों लिए की गई
जिद्द यार,
यार क्या बचपना था वो भी,
बड़ा ही रंगीन सफर था
बाज़ार का
और खिलौनों की मांग वाले बचपन का ।