श्री कृष्ण
श्री कृष्ण
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प्रिय कृष्ण को मेरा प्रणाम मिले
जहाँ प्रीति अथाह भरी हुई है।
धनवान हो या कि हो निर्धन ही
सबके लिए भक्ति भरी हुई है।
अपना लिया है जिसको हरि ने
उसकी गति भी सुधरी हुई है।
प्रभु की तो रही है अनंत कृपा
मुरली अधरों पे धरी हुई है
