श्री गणेश
श्री गणेश
जय जय गणपति महाराज,
शरण आये की रखते लाज ।
हीरे मोती इनको नहीं भाते
एक प्रेम भरे मोदक से ये दौड़े आते।
भक्तवत्सलशुभता लाते,
भक्त सारे प्रेम से इन्हें रिझाते।
जय जय गणपति महाराज शरण
आये की रखते लाज।
गौरी शिव के जो लाल,
कार्तिकेय जी के भ्राता
रिद्धि सिद्धि के है ये दाता।
लम्बोदर काया मूषक वाहन,
करो तुम इनका दिल से आवाहन।
जय जय गणपति महाराज
शरण आये की रखते लाज।
ज्ञानऔर प्रेम के जो भंडार,
भोग भक्त का करले सब स्वीकार,
खायेंगे सब खिलाके देखो
आयेंगे झठ से कभी प्रेम से मनाके देखो।
जय जय गणपति महाराज
शरण आये की रखते लाज।
