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Amit Kumar

Others

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Amit Kumar

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श्रद्धा सुमन

श्रद्धा सुमन

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तुम्हारा ह्रदय से शुक्रिया है

तुम्हें ह्रदय से वंदन है

तुमने जो दिया है

मैं उसका हक़दार नही हूँ

मैं इंसान हूँ

मुझमें बहुत सी खामियां है

मैं तुम्हारे नतमस्तक हूँ

क्योंकि तुम पत्थर होकर भी

आस्था से भरे हो

और मैं इंसान होकर भी

अनास्था का पुजारी हूँ,

तुम सदैव मूक बने

मुझे प्रेरणा देते आये हो

मैंने हमेशा तुममें

स्वयं को ही साक्षात किया है,

और मैं तुम्हारे ही रूप का

एक नन्हा सा प्रतिरूप हूँ,

तुम कुछ नही होकर भी

संसार के सबकुछ हो

और मैं अपने अहम का

एक खोखला खंडहर हूँ,

मैं आकाश धरा वायु

अग्नि जल आदि को

साक्षी मानकर ह्रदय की 

गहराइयों से तुम्हें नमन करता हूँ,

तुम कहाँ नहीं हो

तुम कण-कण में विधमान हो

और तुम्हारी इसी विभीषिका को

मैं अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं।

हे ईश्वर! मुझे श्रद्धा भक्ति शक्ति

नेक नीयत बरक़त से 

ओतप्रोत कर दो.....

तुम्हारी सदा जय हो......

मैं सदैव तुम्हारा ऋणी रहूंगा

मेरे घर परिवार दोस्तों साथी 

सहयोगियों को हंसी खुशी

कामयाबी और खुशहाली से

मालामाल कर दो

तन मन धन स्वस्थ जीवन का

शुभाशीष दो प्रभु!

      


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