श्रद्धा से श्राद्ध
श्रद्धा से श्राद्ध
युग युग से चलता आया
परलोक सिधारे परिजन
तो वंशज दे हर साल इक दिन
श्राद्ध सह स्नेह नमन।
भाद्र पूर्णिमा से आश्विन अमावस
पितृपक्ष का होता पिंडदान
तर्पण ग्रहण ने धरती पे पधारें
ज्यों बुलाये संतान।
ये श्राद्ध है रीत पुरानी जो
पूर्वज को पिंड दिलाए
स्मरण कराता परिवार जनों को
जो कुछ समय बिताए।
पिंड दान करें पुत्र-वधु
पिता सहित विगत सात वंश
करे आह्वान पूर्वजों का
अर्पण करे पिंड का इक इक अंश।
पौत्र-पौत्री नाती-नातिन सब
उस दिन याद करें
दादा-दादी के स्मृति सुधा
हृदय में भक्ति भरे।
वर्ष में इक दिन श्राद्ध का
उससे बड़ा न कोई काज
शांत चित्त से पूर्ण करें
श्रद्धा से श्राद्ध का रिवाज़!!!
