श्रद्धा की अभिव्यक्ति है
श्रद्धा की अभिव्यक्ति है
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श्रद्धा की अभिव्यक्ति है,
है पुरखों का मान।
पितृ ऋणी की मुक्ति का,
इसको साधन मान।।
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शास्त्र वचन अभ्रांत हैं,
आत्म-दृष्टि यदि प्राप्त।
हृदय बुद्धि की व्याख्या,
किंतु नहीं पर्याप्त।।
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जीवित हों करते रहो,
सेवा औ सम्मान।
पर जीवन के बाद भी,
प्रेम मान औ दान।।
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स्वर्गिक पुरखों को नहीं,
श्राद्ध तृप्ति की चाह।
ऋणी हृदय की मुक्ति को,
यह तर्पण की राह।।
