शमा पर मिटता परवाना क्यों?
शमा पर मिटता परवाना क्यों?
1 min
199
दिल तो है पागल,
और दीवाना भी क्यों है।
प्यार से बचना जरा,
आशिकों और हसीनाओं।
ये कमबख्त इश्क़ बड़ा,
बेगैरत और बेगाना क्यों है।
शमा पर मिटता हर बार,
सिर्फ परवाना ही क्यों है।