शिव मेरे आराध्य देव
शिव मेरे आराध्य देव
शिव शिव शिव शिव,
मेरे तो आराध्य देव हैं शिव,
भले डरावने लगते हैं शिव,
भक्तों से सदा प्यारे हैं शिव,
उनकी रक्षा सदा करते हैं शिव,
शिव शिव शिव शिव ।
बालों की जटा से गंगा बहती हैं,
गले में जिनके सर्प सुशोभित हैं,
हाथों में उनके त्रिशूल होते हैं,
चाँद की शोभा उनके माथे से हैं,
त्रिदेवों में से है जो एक देव हैं,
शिव शिव शिव शिव,
मेरे तो आराध्य देव हैं शिव,
भले डरावने लगते हैं शिव,
भक्तों से सदा प्यारे हैं शिव,
उनकी रक्षा सदा करते हैं शिव,
शिव शिव शिव शिव ।
देवों के देव कहलाते हैं महादेव,
हैं पिता कार्तिकेय और गणेश के,
नंदी बने है सारथी मेरे शिव के,
लगता हैं प्रिय भांग ज्यादा सबसे,
भक्तों पे करुणा करते हैं मेरे शिव,
शिव शिव शिव शिव,
मेरे तो आराध्य देव हैं शिव,
भले डरावने लगते हैं शिव,
भक्तों से सदा प्यारे हैं शिव,
उनकी रक्षा सदा करते हैं शिव,
शिव शिव शिव शिव ।
शिवरात्रि में ताता लगता हैं भक्तों का,
पूजा-अर्चना कर मोहित फल पाते हैं,
इसीलिए सुबह सवेरे सब मंदिर आते हैं,
अपनी मनोकामना भक्त पूरी कर पाते हैं,
नीलकंठ के दर्शन का लाभ उठाते हैं,
शिव शिव शिव शिव,
मेरे तो आराध्य देव हैं शिव,
भले डरावने लगते हैं शिव,
भक्तों से सदा प्यारे हैं शिव,
उनकी रक्षा सदा करते हैं शिव,
शिव शिव शिव शिव ।
