शिव की महिमा
शिव की महिमा
शिव हैं आदि ,शिव अनंत, शिव है भोले भंडारी,
गले सर्प, तन मृग छाला, अविनाशी हैं डमरुधारी,
जटा विराजे है गंगा और माथे शोभित अर्धचंद्रमा,
गणप्रेतों के स्वामी सदाशिव हैं जग कल्याणकारी,
कैलाश वासी, गले वासुकी, अर्धांगिनी है पार्वती,
भोलेनाथ हैं शिव शंकर, वो सुनते सबकी विनती,
देवों के देव महादेव, शंभू नाथ, कहलाए नीलकंठ,
जग कल्याण किया, गले धारण कर विष की पाती,
शिव शक्ति है, शिव पूजा, शिव हैं ओमकार ध्वनि,
जीवन उद्धार उसका जिस पर शिव की कृपा बनी,
भांगधतूरे से हो जाते प्रसन्न, अनंत शिव की महिमा,
शिव से जुड़े नाता जीवन में मिले खुशियों की मणि,
अर्धनारिश्वर, जटाधारी, वो विश्वेश्वर हैं कण-कण में,
शिव को न ढूँढो इधर-उधर वो विराजे सबके मन में,
औघड़ हैं, अविनाशी है, महेश्वर ही सृजन और संहार,
अदृश्य हैं वो, साकार भी, शिव जीवन के हर क्षण में।
