STORYMIRROR

शीर्षकहीन रचना-2

शीर्षकहीन रचना-2

1 min
27.7K


मन के चूल्हे पर
जब अतीत और वर्तमान उफनता है 
तो भविष्य के सकारात्मक छींटे डालते हुए सोचती हूँ 
लिखूँगी आत्मकथा… 
नन्हें कदमों से आज तक की कथा!
पर जब-जब लिखना चाहा 
तो सोचा,
पूरी कथा एक नाव-सी है 
पानी की अहमियत 
किनारे की अहमियत 
पतवार, रस्सी, मल्लाह 
भँवर, बहते हुए पत्ते
किनारे के रेत कण 
कुछ पक्षी 
कुछ कीचड़ 
कमल…
सूर्योदय, सूर्यास्त 
बढ़ने और लौटने की प्रक्रिया… 
यही सारांश है हर आत्मकथा का!


Rate this content
Log in