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Kamini sajal Soni

Others

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Kamini sajal Soni

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शीर्षक - अस्तित्व

शीर्षक - अस्तित्व

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नहीं रास्ता सरल जिंदगी का,

ऊंची नीचे मोड़ खड़े।

बंदिशें हजार लगा नारी को

समाज के पहरेदार खड़े।


बाबा तुमने कह कर टाल दिया

पराया धन हो अपने घर जाकर करना,

पराए घर में भी यह सुना दिया

पराई हो अपने घर जाकर करना।


क्या नारी का कोई घर नहीं,

अस्तित्व नहीं सम्मान नहीं।

क्यों दो हिस्सों में बटी जिंदगी,

नारी का कोई अभिमान नहीं।


हुआ जन्म बेटी का घर में

नहीं बधाई गीत हुए,

पर वंशवेल बढ़ाने को

देवी पूजन और यज्ञ हुए।





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