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Usha Gupta

Others

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Usha Gupta

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शेषनाग

शेषनाग

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कभी गई थी शेषनाग

कर लाई थी क़ैद

अलौकिक छटा 

वहाँ की अपने

नन्हें नन्हें नेत्रों में


वर्ष बितते गये

सोचा चलो अब तो

उस अलौकिक छटा को

उतार नेत्रों से बिखेर दूँ 

कैनवस पर


परन्तु यह क्या?

किसी भी शीशी में

वो रंग न मिले

जो बसे थे मेरे नेत्रों में


सोचा चलो जो भी रंग हैं

उन्हीं को लगा कूची में

भर दूँ कैनवस 

नीला रंग झील का

तो रंगों के मेल से बन ही जायेगा


परन्तु वह भी तो 

ख़रा न उतर पाया 

मेरी नेत्रों में बन्द रंग के

सोचा शेषनाग तो काले हैं

उनका रंग तो सही होगा


परन्तु यह क्या???

काला रंग भी मेल न खा सका


फिर समझ आया 

कैसे उतरती वह तस्वीर कैनवस पर

जो स्वयं ईश्वर ने बनाई

अद्भुत रंगों में रंगें पुष्प,

बर्फ़ की चादर से ढ़की 

पर्वत की चोटियाँ 

वह नीली झील 

और उसमें से झाँकते 

फ़न उठाये

काले शेषनाग।


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