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Devesh Dixit

Others

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Devesh Dixit

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शब्दों का मेला

शब्दों का मेला

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शब्दों का मेला है

मची है इसकी धूम

चुन सके तो चुन ले

फिर गाथा अपनी बुन

खेल इसका बड़ा निराला है

इसकी महत्वता को चूम

विष और अमृत भी यही है

इसको सोच समझ कर चुन

मैंने भी इसको चुना है

चुन कर हुआ मशगूल

शब्दों की माला पिरोई है

लिया कविता का रूप

मन तब प्रफुल्लित हुआ है

और मिला है सुकून

ऐसी रचना बनाई है

दिल गया है झूम



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