शब्दों का जामा
शब्दों का जामा
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जिंदगी आज तूने फिर आजमाया है।
कुरेदकर घाव पुराने हमें रूलाया है।।
चुन के ख्वाबों को बनाया घरौंदा जो।
हमने हाथों से खुद ही जलाया है।।
दिल ने सोचा था जीतेंगे सारा जहां
तेरे इस खेल में दिल मात खाया है।।
रूठकर दूर जा बैठी थी मुस्कराहटें।
बड़ी मशक्कत से हमने मनाया है।।
वो ना समझे जब हमारी खामोशी।
शब्दों का जामा भावों को पहनाया है।।