सेल्फी
सेल्फी
1 min
221
हमेशा खुश होना भी एक कला है,
हमेशा खुश होना भी एक कला है
खुद....
खुद.... दुख के दरिया में रह कर
दूसरों को हँसाना भी एक कला है।
ना जाने कल को क्या है जिंदगी में।
इसी पल को हँस के जीना भी एक कला है।
मेरे अंदर शक्ति आए ,
मेरे अंदर शक्ति आए
औरों को खुशी में देती रहो
उसी खुशी में मर भी जाओ
तो क्या ग़म है।
दूसरों हँसाना भी कला है।
सेल्फी में हर पल लेती हूं,
खुद को नहीं,
खुद की नहीं
दूसरों की मुस्कान भारी होठों की।
ऐसे सेल्फी ले के चली भी जाओ तो क्या ग़म है।
दूसरों को हँसाना भी एक कला है
एक कला है।
