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Rajendra Jat

Others

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Rajendra Jat

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सड़क

सड़क

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कोई कहता

"हेमा जी" के गालों सी 

कोई "केट" के गालों से भी कर देता तुलना।

"नारी" जैसी तो है पर "सड़क है ।"


हर मौसम में,

बोझा सबका ढोती।

मौसम की मार से टूटती,

कारी लगा देते जैसे लगाती थी हमारी मां 

हाफपेंट को।


प्रतिदिन न जाने कितने वाहनों को

इंसानों और जानवरों को झेलती,

और भी ना जाने कितने प्राणी 

आसरा पाते हैं इस पर

रौंदते सब इसको,

कुछ भी तो न बोलती।



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