सच्चा इंसान
सच्चा इंसान
किसी को कभी तकलीफ़ में देख,
तुम्हें भी हो तकलीफ़।
तो समझ लेना कि,
नहीं की गलती ईश्वर ने,
तुम्हें बनाकर एक इंसान।
तुम्हें बनाकर एक इंसान।
श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार,
84 लाख योनियों का भ्रमण कर,
पाया है हमने ऐसा जन्म।
जिसमें बने हैं हम इंसान।
बनकर इंसान ना करना,
कोई ऐसा काम।
जिससे कहलाओ पत्थर दिल इंसान।
जन्म मिला है इंसान का तो,
बनना एक सच्चा इंसान।
बनना एक सच्चा इंसान।
क्या सोच रहे हो ए इंसान?
यही कि,
बहुत मुश्किल है बनना।
एक सच्चा इंसान।
नहीं,
ज़्यादा कठिन नहीं,
बनना एक सच्चा इंसान।
बस करना थोड़े ऐसे काम।
जो दुनिया खुद कहे तुम्हें,
एक सच्चा इंसान।
एक सच्चा इंसान।
ज़रूरी नहीं,
वन-वन घूमो सन्यासी बन।
जिओ एक सादा-सा जीवन।
तभी कहलाओगे सच्चे इंसान।
ज़रूरी नहीं,
होगे धनवान।
तभी कहलाओगे सच्चे इंसान।
बस आत्मा हो सच्ची और
मन से हो धनवान।
वही है सच्चा इंसान।
वही है सच्चा इंसान।
बुजुर्गों के हाथों की,
छूटी हुई लाठी बनना,
जानता हो जो इंसान।
वही कहलाता सच्चा इंसान।
मर्द होने के नाते,
बचा ले जो कभी,
किसी स्त्री का सम्मान।
वही है सच्चा इंसान।
वही है सच्चा इंसान।
दूसरों के सदा काम आए।
दिल से जो सदा मुस्कुराए।
सब को सम्मान दिल से दे पाए।
मांँ-बाप की सेवा जो,
खुशी-खुशी कर पाए।
दुनिया से जाने के बाद भी,
जो सभी की यादों में समाए।
वही है जो दुनिया में,
सच्चा इंसान कहलाए।
सच्चा इंसान कहलाए।
दूसरों की गलती माफ़ कर दे,
आसानी से जो इंसान।
वही कहलाता सच्चा इंसान।
धर्म या जाति के भेद से,
ऊपर उठ करे जो,
सभी का सम्मान।
वही कहलाता सच्चा इंसान।
वही कहलाता सच्चा इंसान।
पक्षियों और जानवरों को भी,
भूखा ना देख पाए जो इंसान।
जो रखे भरकर एक जल का पात्र,
प्रतिदिन घर की छत पर।
पक्षियों को भी अपना मान।
वही है जो,
कहला सकता है सच्चा इंसान।
दुनिया की भलाई के लिए,
करे जो सदा कर्म महान।
वही कहलाता सच्चा इंसान।
वही कहलाता सच्चा इंसान।
बचा लो कभी जो,
किसी की जान।
खुद को ज़रूर,
समझ लेना सच्चा इंसान।
परंतु,
खुद को ना समझ बैठना भगवान।
ना आने देना अपने अंदर,
कभी अभिमान।
कभी अभिमान।
याद रखना सदैव एक बात।
हो तो तुम आख़िरकार एक इंसान।
अंतिम मंज़िल तो है,
बस शमशान।
बस शमशान।
साथ नहीं जाएगा,
कभी अभिमान।
साथ जाएंँगे सिर्फ़,
कर्म महान।
जिनसे कहलाए दुनिया में एक इंसान,
सच्चा इंसान।
सच्चा इंसान।
