सबसे आगे
सबसे आगे


दर्द में डूबी हुई थी मै
फिर भी सबसे आगे खड़ी थी।।
मेरे आस-पास गमके बेशुमार काले साए
बिखरा बिखरा इधर उधर का नज़ारा
दर्द से नाता था मेरा पुराना
गम में शामिल न था कोई सहारा।।
मेरे नजदिक अनगिनत थी
कंटीली कांटों भरी क्वारिया
देखा इधर उधर तो हँसकर
कांटो ने दी मुझे खुशियां ।।।
देखा दर्द का सैलाब मैंने
भूल गई दर्द से फिर मेरा नाता
सोचा न था मैंने दुनिया में
कितने ही है दर्दनाक दर्दीदाता।।
इत्तेफाक से बदनसीब साथी
सोच को बदल दिया मैंने
किया तन मन धन अर्पण
तैरना सीख लिया सैलाबमें मैने।।