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Mayank Kumar

Others

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Mayank Kumar

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सब की लाठी एक सी थी क्या

सब की लाठी एक सी थी क्या

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जब क्या कहूं कोई बोला था

वोट में हैं मलाई ही मलाई,

इसके ख़ातिर कोई देश को

हर एक पल बस तौला था।

जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक

अखंड भारत को किसी ने

कभी बेज़ोर घाव दिया था,

उपचार के बहाने उसे और कुरेदा था,

अगर आज बीमारी ठीक हुई है तो

उत्सव मनाओ ! मातम कैसा ?

कोई तो लेप लगाया मां के घावों पर

जो कैंसर सा विकराल होता जा रहा था,

उपचार हुआ है, थोड़ा दर्द होगा मानता हूं

लेकिन, निजात भी मिलेगी बीमारी से

मैं यह भी जानता हूं।

अगर सच्चे सपूत हो मां भारती का तुम

तो फिर खूब शंखनाद कर उत्सव मनाओ,

अगर दर्द कम होने के बाद भी रो रहे हो

तो मैं फिर क्यों न कहूं तुम औरंगजेब हो,

सच में तुम उसी के वंशज हो।

अगर मैं गलत बोल रहा हूं तो

तुम रोज की तरह मुझे गालियां दो

वैसे भी तुमसे यही उम्मीद कर सकता हूं

तुम खग्रास जो ठहरे माँ की खुशियों की !


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