साम्राज्य
साम्राज्य
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साम्राज्य की शक्ति प्रजा
प्रजा की शक्ति सम्राट
दोनों के विचारों का मतांतर
पैदा कर दे परिस्थिति विराट।
साम्राज्य अगर घना पेड़
तो प्रजा उसकी शाखाएं
सम्राट से अलग नहीं होती है
देशभक्त लोगों की शिराएं।
प्रजा के जागने से साम्राज्य डोलता है
प्रजा के दिल में जब कड़वाहट घोलता है।
