रुक जा दो पल ए समय
रुक जा दो पल ए समय
रुक जा दो पल ए समय ,
इतना तू क्यों बेदर्दी है।
इतनी भागा दौड़ी क्यों ,
इतनी भी क्या जल्दी है।
संग बहारें लेकर चलेंगे,
जरा उनको आने दे।
संगदिल ना तू हो इतना,
जरा खुशियों की घटाएं छाने दे।
होकर फूलों से रूबरू ,
भंवरो ने बगावत कर दी है।
रुक जा दो पल ए समय ,
इतना तू क्यों बेदर्दी है।
इतनी भागा दौड़ी क्यों ,
इतनी भी क्या जल्दी है।
छाई घटाएं सावन की,
मेघा शम शम बरस रही।
पिया मिलन की ऋतु में ,
यह रूह मिलन को तरस रही।
खोकर पिया की बाहों में ,
अरमानों ने शरारत कर दी है।
रुक जा दो पल ए समय ,
इतना तू क्यों बेदर्दी है।
इतनी भागा दौड़ी क्यों ,
इतनी भी क्या जल्दी है।