ऋतुराज का यही जीवन संदेश
ऋतुराज का यही जीवन संदेश
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ऋतुराज का है यही जीवन संदेश,
प्रकृति नित्य बदलती स्वयं का वेश।
बसंत ऋतु की महत्ता को समझ ले मानव,
इसी में निहित हैं ब्रह्मा विष्णु महेश।
दूर तलक सुशोभित हैं सरसों के फूल,
सुंदरतम है धरा का यह पीत गणवेश।
सुगन्धित पवन, उल्लासपूर्ण जीवन,
यह मधु मास है मानो स्वप्नों का देश।
भाँति भाँति के प्रसूनों ने रंगोली बनाई,
हो रहा है जीवन में रँगों का समावेश।
मंत्रमुग्ध करती सरिता की कल-कल,
पंछियों के कलरव से मुदित है परिवेश।
आनन्दित है मन, बरसे प्रेम का घन,
घटाओं ने आज हैं खोले श्यामल केश।