ऋतु बसंती..
ऋतु बसंती..
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हर किसान की मुस्कान बसंत,
हर किसान की जान बसंत,
दिन महीनों की मजदूरी
खेतो में बोये बीज की बोरी,
धूप छाँव में की लालन पालन
जैसे घर मे हो नन्हा सा बालन,
दिन और रात की रखवाली
खटिया लगा के राते बिताई,
जब आये बसंत ऋतु आँगन
हर किसान की जान मे जान आयी,
खून पसीने की महेनत.. इस माह
रँग सुनहरा दिखलाने आयी,
नन्हे नन्हे सपनो के पंखो को ,
परवाज़ लेकर किसान को
एक उड़ान देने आयी।
देखो ऋतु बसंत आयी
देखो ऋतु बसंत आयी।