रोये राम बिलख जंगल में
रोये राम बिलख जंगल में
हर जीवन के साथ जुड़ा है हंसना रोना गाना
हर जीवन में होता है ,सुख-दुख का आना जाना।
कहीं हंसी है कहीं रुदन है कहीं छिड़े हैं गाने
खपता है जीवन इनमें ही ढूंढ ढूंढ कर माने ।
बचपन में लड़का या लड़की हर कोई रोता है
बचपन का व्यवहार प्रकृति का मूल रूप होता है ।
सोच उम्र के साथ बदलती है अनुभव पाती है
देख देख व्यवहार जगत के कृत्रिमता आती है।
भेद जनाने मरदाने के समझाए जाते हैं
किस्सों में आंसू चूड़ी के मुहावरे आते हैं।
लड़की मन से अबला होकर घुटती, रो लेती है
लड़का हुआ रुआंसा भी तो दुनिया हंस देती है।
यों तो सब सह गई द्रोपदी लेकिन तनिक न रोई
रोए राम बिलख जंगल में जान गया हर कोई ।
