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मिली साहा

Children Stories

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मिली साहा

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रंगा सियार

रंगा सियार

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बचपन हमारा दादी नानी की कहानियों से भरा होता था

हर रोज एक नई रोचक कहानी का पिटारा खुल जाता था,

दादी की कहानी में होती थी सीख और होता था प्यार

मेरी दादी की कहानियों में एक कहानी थी रंगा सियार,

दादी की रोचक कहानियों को मैंने याद सदा किया है

उनकी एक कहानी को आज कविता का रूप दिया है,

बात एक जंगल की है जहां एक सियार रहता था

एक बड़ा सा डाल आकर उसके सिर पर गिरा था,

डर से भागा मांद की ओर चोट का असर गहरा था

खाना ना मिलने के कारण वह कमजोर हो रहा था,

एक दिन लगी तेज भूख शिकार करने निकल पड़ा

अचानक देख हिरण को वह उसके पीछे दौड़ पड़ा,

हो गई उसे खूब थकावट हिरण को ना पकड़ पाया

भटका पूरा दिन पर भोजन ना उसको मिल पाया

होकर निराश गांव की ओर जाने की उसने ठानी

यहीं से ही शुरू होती सियार की असली कहानी

उम्मीद थी गांव में कोई मुर्गी का बच्चा मिल जाए

जिसे खाकर उसकी कम से कम रात गुजर जाए

ढूंढ रहा भोजन तब कुत्तों के झुंड पर नजर पड़ी

देख कर उन कुत्तों को सियार की सुध बुध उड़ी

घबराकर धोबियों की बस्ती की ओर वो भागा

कुत्तों ने उसे बस्ती के चारों ओर खूब दौड़ाया

इसी भागा दौड़ी में सियार घुस गया ड्रम के भीतर

धोबी का था ड्रम नीला रंग घुला था जिसके अंदर

कुत्तों के डर से बेचारा रात भर ड्रम में पड़ा था

बाहर निकला देखा नीला रंग उस पर चढ़ा था

उपाय सूझा सियार को फिर उसने दिमाग लगाया

नीला शरीर लेकर ही सियार वापस जंगल में आया

जंगल में आकर उसने जानवरों की सभा बुलाई

अपने नीले रंग को सियार ने ईश्वर की देन बताई

क्या तुमने कभी नीला जानवर कोई देखा है

राज करो जंगल में ईश्वर ने ही मुझसे कहा है

मान गए सभी जानवर कहा महाराज आदेश बताओ

सियार बोला सभी सियारों को तुम बाहर खदेड़ आओ

अपनी पहचान छुपाने को उसने यह काम किया था

जंगल में राज कर सके इसलिए यह आदेश दिया था

राजा मानकर सियार को हर कोई बात मानता

पंख झलता मोर और बंदर पैर दबाता

सियार के फिर गए दिन अब वो मस्ती में रहता था

जिसे खाने का मन होता वह उसकी बलि देता था

एक दिन चांदनी रात में सियार को प्यास लगी थी

दूर कहीं बोलते सियार की आवाज उसने सुनी थी

अपनी आदत से मजबूर वह खुद को ना रोक सका

हू-हू की आवाज में सियार जोर-जोर से बोल पड़ा

सच्चाई जानकर जानवर बोले हमें बेवकूफ बनाया

यह तो एक सियार है देखो इसने नीला रंग चढ़ाया

खुल गई पोल सियार की उसने अपनी जान गंवाई

सभी को बेवकूफ बनाने की आज उसने सजा पाई

अंत हो गया सियार का मिली सजा उसके कर्मों की

शिक्षा मिली हमें इससे रोचक थी कहानी दादी की

झूठ नहीं छुपता कभी एक दिन उजागर हो जाता है

खुल जाती जब झूठ की पोल सजा जरूर पाता है

कहानियों से बच्चों के मन में गहराई तक बात पहुंचती है 

यह बहुत रोचक लगती है जब दादी नानी से सुनी जाती है।


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