रंग
रंग
हर चेहरे पर हर दिन इक रंग नया देखा है,
मैंने हर पल रिश्तों में हुड़दंग यहाँ देखा है।
पहले रंग दोस्ती का वो मेरे मन पर लगाते हैं,
बन कर हबीब राज़ सीने के फिर चुराते हैं।
मुस्कुराते चेहरों के नकाबों में षड्यंत्र देखा है,
बाँध कर रिश्ते न निभाने का ढंग यहाँ देखा है।
हर चेहरे पर हर दिन इक रंग नया देखा है,
मैंने हर पल रिश्तों में हुड़दंग यहाँ देखा है।
रिश्तों के बंधनों में स्वार्थ की जमीन होती है,
झूठ व फरेब से ज़िन्दगी इनकी हसीन होती है।
पास अपने ऐसे चेहरों को होकर दंग देखा है।
मुश्किलों में तो औरों को ही सदा संग देखा है।
हर चेहरे पर हर दिन इक रंग नया देखा है,
मैंने हर पल रिश्तों में हुड़दंग यहाँ देखा है।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई कहे जाते हैं,
भारत में सभी धर्म आपस में भाई कहे जाते हैं।
आपस में लड़ाकर, जाति-पाँत में उलझाकर,
मेरे भारत देश को मैंने आज बदरंग होते देखा है।
हर चेहरे पर हर दिन इक रंग नया देखा है,
मैंने हर पल रिश्तों में हुड़दंग यहाँ देखा है।
मैंने तो निःस्वार्थ लगाया था प्रेम-रंग रिश्तों पर,
खुद को कितनी ही बार मिटाया इनकी शर्तों पर,
इन्हें खुश रखने की मेरी तमाम जद्दोजहद में,
मैंने खुद को खुद ही से लड़ते एक जंग देखा है।
हर चेहरे पर हर दिन इक रंग नया देखा है,
मैंने हर पल रिश्तों में हुड़दंग यहाँ देखा है।
