रंग
रंग
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रंगों का त्यौहार है आया
खुशियाँ भर भर के लाया
सब नाचे गाये जश्न मनाये
रंग अबीर उडाते जाये
एक दूसरे को गले लगाये
सारे क्लेश मिटाये जाये
रंगों का त्यौहार है आया
खुशियाँ ही खुशियाँ लाया
दुश्मन भी दोस्त बन जाते है
सारी रंजिश को भुला जाते
एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाते
औरो के संग गले है मिलते
हंसी मजाक के फव्वारे छोडे़
मीठे और नमकीन का लुफत उठाते
जिसमे होते गुजिया पापड़
खाते और मुस्काते जाये
हंसी खुशी सब बाते करते
फिर वापस घर को जाते।
रंगों का त्यौहार है आया
खुशियाँ ही खुशियाँ लाया।
