रंग कुदरत के
रंग कुदरत के
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हर तरफ हरियाली है
धूप-छांव भी मतवाली है
जिधर भी देखो मन प्रसन्न है
अपनी प्रकृति सबसे निराली है।
सारे दुःखों को यूं हर लेती
अपने गर्भ से खुशियाँ देती
हर किसी को ये प्यारी है
अपनी प्रकृति सबसे निराली है।
हो मौसम कैसा भी
सब में करती रखवाली है
इससे हमारी जन्म से यारी है,
अपनी प्रकृति सबसे निराली है।
हो त्यौहार कोई सा भी
पतझड़ हो या बसंत भी
सबकी अपनी क्यारी है,
अपनी प्रकृति सबसे निराली है।
