रंग-बिरंगी कविताएं
रंग-बिरंगी कविताएं

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आसमान में इंद्रधनुष सी,
कभी माँ की ममता सी,
कभी गुज़रे हुए लम्हों की,
यह रंग-बिरंगी कविताएं।
कभी ख़ुशियों से लिपटी हुई,
कभी गमों में घिरी हुई,
कभी सच्चाई को ओढ़े हुए,
यह रंग-बिरंगी कविताएं।
कभी झूठ के पर काटती,
कभी सच को झूठलाती,
कभी हँसती कभी रोती,
यह रंग-बिरंगी कविताएं।
कभी महबूबा सी शरमाई हुई,
कभी पतझड़ कभी बसंत सी,
कभी मचलते अरमानों की,
यह रंग-बिरंगी कविताएं।
कभी वीरों की वीरता की,
कभी कायरों की कायरता की,
कभी हालातों पर कटाक्ष करती,
यह रंग-बिरंगी कविताएं।