रिश्तों की पोटली
रिश्तों की पोटली
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भाग रही ये जिंदगी
हम जो कभी गुंथे थे रिश्तों में
आज बिखरे हैं टूट के
जीवन हुआ बियाबान
जीना हो गया मुश्किल
कभी दौड़ता था मन रिश्तों में
अब हटते कदम पीछे हमारे