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Akansha Rupa chachra

Others

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Akansha Rupa chachra

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रिश्ते जीवन की मिठास

रिश्ते जीवन की मिठास

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मन के कोने में रखी वो पोटली 

आज फिर खुल सी गई साँसें थी 

धड़कन थी ज़िन्दा थी वो पोटली ।


मर्म था संवेदना थी कहीं कुछ नाराज़गी थी 

नमी सी थी रूखापन भी था गुस्सा था मनुहार था 

क्या कहूँ उस कोने में रिश्तों का प्यारा संसार था ।


मन को उसनें सहला दिया बहुत कुछ सुना दिया 

दूर हुऐ प्यारे रिश्तों को कितना क़रीब ला दिया 

छोटे छोटे से लम्हें को आज फिर मुझे जी ला दिया ।


मैं सिहर उठी मैं बिखर उठी मैं साथ फिर लिपट गई 

बहुत प्यार आज फिर किया मेरा मन भिगो दिया 

ये पोटली थी प्यार की मेरे रिश्तों के संसार की ।


फिर बाहर दुनियाँ पर नज़र मेरी ज़रा पड़ी 

आज नफ़रतों का संसार था द्वेष ईर्ष्या ही दिख रही 

प्रेम रिश्तों का ना कोई काम था 

रिश्तों का व्यापार था न मन से कोई पास था ।


मैं पोटली से कह उठी अब वो संवेदना कहाँ गई 

वेदना किसी की देख संवेदना क्यूँ मर गई 

मेरी पोटली गले लगी सहलाने बस मुझे लगी ।


मैं फिर कुछ न कह सकी स्पर्श उन अंगुलियों का 

बस प्यार प्यार दिखाता रहा थी मौन वो पोटली भी 

बस रिश्ते प्यार के अब पास थे नफ़रत का न नाम था।



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