रीति
रीति
रीत ऐसी हो कि मन मिल जाए,
उड़ते चमन में पंख सिमट जाए,
बादलों की घनघोर घटा फैले ,
आसमान से पानी बरस जाए!
रीत ऐसी हो कि समां बंध जाए,
सूखे पतझड़ में फूल खिल जाए,
वन- उपवन का मिलन होए ,
तृप्त धरती स्वर्ग बन जाए!
रीत ऐसी हो कि शब्दों की पोथी बन जाए,
बरसते कलरव में मंत्रमुग्ध हो जाए,
बिखरते मोतियों की माला बने,
श्रेष्ठ से अभिनव परंपरा बन जाए!
रीत ऐसी हो की शैली बन जाए,
ज्ञान और भक्ति प्रेषित कर जाए,
प्रगति पथ पर चले मानव,
आसन्न से विशिष्ट सृष्टि एक हो जाए!