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Sajida Akram

Children Stories

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Sajida Akram

Children Stories

"रेल"

"रेल"

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हम सुनाए बचपन की, 

एक कहानी , 

हम थे नन्हें बच्चे, 

माँ- बाबा के साथ, 

जाना था भोपाल, 

हमनें स्टेशन पर देखी, 

पहली बार छुक-छुक रेल  

हम थे बहुत नादान बच्चे 

जैसे ही रेल आई स्टेशन 

पर सीटी बजाती आई ।

हमनें देखा पास में बैठे थे, 

ओर भी परिवार उनका, 

छोटा बच्चा सो रहा था।

जैसे ही रेल ने सीटी बजाई,

हुआ शोर-शराबा धड़-धड़

हुई हलचल-भीड़ भडक्का

नन्हा बच्चा डर कर लगा, 

पलटी मारने उस बच्चे की, 

माँ दौड़ी उसको पकड़ कर, 

लिया सीने में छुपा नन्हें को

हम भी थे नन्हें हम भी डर गए, 

दुबक गए बाबा की गोदी में, 

सहमें से देख रहे थे, 

विशालकाय रेल को , 

लगा बड़ा अजूबा ये, 

कैसे चलती है, कैसे हम, 

एक जगह से- दूसरी जगह, 

पर पहुंचाए हमको वाह री, 

प्यारी रेल.....!


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