राम गवक्कड़
राम गवक्कड़
आदत से था बड़ा भुलक्कड़।
नाम था उसका राम गवक्कड़।
इक दिन उससे दादा बोले
ले आओ बर्फीले गोले
दस रुपया वे हाथ थमाये
गोले वाला कहाँ बताये
रुपया लेकर चला गवक्कड़
आदत से था .....!
कुछ दूरी पा जाकर सोचा
समझ न आया माथा नोचा
क्यों आया वह याद न आये
मुँह लटकाये कदम बढ़ाये
चलते -चलते पहुँचा नुक्कड़
आदत से था ......!
नुक्कड़ पर ननकू हलवाई।
पूछा तौलूँ कौन मिठाई।
लड्डू पेड़ा गरम समोसे।
सोचा खा लूँ राम भरोसे।
खाया खेला बूझ बुझक्कड़
आदत से था ......!
घर आते ही दादा बोले।
ले आये बर्फीले गोले।
खड़ा हुआ वह मुँह लटकाये
बचा न रुपया क्या बतलाये।
आय याद पड़ा जब थप्पड़।
आदत से था ......!
