राखी पर जरूर आऊंगी
राखी पर जरूर आऊंगी
अपनी जीवन के सुख और दुख
बैठ कर तुमको बताऊंगी
भैया, इस बार राखी पर
मैं जरूर आऊंगी।
तू नाराज़ न होना,
पिछली बार न आ पायी,
गलती तो तेरी ही है भैया,
क्यों अपनी बहन तूने
सात समंदर पार ब्याही।
जो अपने देश में होती भैया,
दौड़ कर चली आती
ले कर राखी और मिठाई,
जानती हूं तू भी रोता होगा
देख कर अपनी सूनी कलाई।
अब की बार जो आऊंगी,
जल्दी न वापस जाऊंगी,
तेरी मनपसंद खीर बनाकर
अपने हाथों से खिलाऊंगी
भैया, इस बार राखी पर
मैं जरूर आंऊगी।
मांं-बाबा की बगिया के
हम दो सुंदर फूल है भैया
मुझे जाना ही था साजन के संग
दुनिया का दस्तूर है भैया
हो जांंऊ चाहे जितनी बड़ी
तेरी छुटकी ही कहलाऊंगी
भैया, इस बार राखी पर
मैं जरूर आऊंगी।
रहें चाहे जितनी भी दूर,
बंधन अपना है अटूट,
बांधूगी तेरी कलाई पर प्यार की राखी,
मनपसंद उपहार मंगवाऊंगी,
हर जन्म बने तू ही मेरा भाई
ईश्वर से मनाऊंंगी,
भैया इस बार राखी पर
मैं जरूर आऊंंगी।