राज़
राज़
एक राज़ जो मेरे दिल मे दफ्न है
सबसे कह दूँ की तुमसे गिला करूँ?
बस अब बहुत हो चूंकि बेकार की बातें,
तूं मुझे भूल जा मैं भी ना तुम्हें मिला करूँ।
देख ये वक्त जरूर बीत जाएगा
जो जगा है तेरा ज़मीर,सो जाएगा
ओ मगरूर! अब तूं याद किसे आयेगी?
ओ मगरूर! अब तुम्हें कौन याद आएगा?
मुहब्बत का सौदा इतना आसां भी नहीं,
मेरा नाम लेकर जमाना तुझे सताएगा ।
मेरे लिए तू इबादत हो गई थी
तेरी हरक्कतों की आदत हो गई थी
तू ही बता अब मैं क्या करूँ?
एक राज़ जो दिल में दफ्न है,
सबसे कह दूँ की तुमसे गिला करूँ?
दिल खाली और मन सुना था।
तेरे ख्वाब का झालर बुना था।
तब मेरे लिए ब्रह्मांड घुमा था-
जब तूने पहली बार चूमा था।
एक बात कहूँ! तेरे जाने के बाद-
अकेले कमरे में मै देर तक झूमा था।
मन बना,तेरे पहलु में खो जाऊँ।
तुझमें खोकर, मैं तेरा हो जाऊँ।
उफ़ ! ये आंह का मैं क्या करूँ?
एक राज़ जो दिल मे दफ्न है-
सबसे कह दूँ की तुमसे गिला करूँ?
मिलना, बिछड़ना खैर, ये सब तो रीत है!
पर हम शौकिया बिछड़ें क्या यहीं पृत है?
हारकर जीतना बेशक सही है लेकिन,
मैं जीत के तुम्हें हारा ये कैसी जीत है?
जिंदगी के थपेडों ने तुम्हें दूर किया ,
मैं जो दुहरा ना सका तूं वहीं गीत है।
अपना दिल मैंने खुद हीं तोड़ दिया।
तुम्हें छोड़ा और दुनिया छोड़ दिया।
कम्बख्त पर उस 'राज़' का मैं क्या करूँ?
वो एक राज़ जो मेरे दिल में दफ्न है,
सबसे कह दूँ की तुमसे गिला करूँ?