राज ऐ युद्ध
राज ऐ युद्ध
अंदर ही अंदर युद्ध चल रहा है
दो हिस्सों में बंट गया हूँ
सोच कर लफ्ज़ लड़ रहे हैं।
पक्ष दोनों भारी मुझ पर
एक अतीत लेकर चल रहा
दूसरा रथ आने को है
अंदर ही अंदर युद्ध चल रहा है।।
व्याकुल दोनों ऐसे मानो
कई जन्मों से तोड़े हो नाते
कैसे जुदा करूँ इनको
कोई मशवरा दे मुझको
अंदर ही अंदर युद्ध चल रहा है।
एक उठाए भाले, तीर ,कमान
दूसरी तरफ तलवारों सहित हैं खड़े जवान
एक कहे क्यों बन गया राजयोग अच्छा इंसान
दूसरा बता रहा है बेईमान
अंदर ही अंदर युद्ध चल रहा है।।
कहे तू पीछा कर उस काल का
बनना पड़े क्यों न बेताल सा
उठा अस्त्र और वार कर।
मर रहा कौन है? इसका दरबार कर
टूटा सिर्फ दिल है, तो एतवार कर
बता सिन्फ़ ऐ दर्द, चुप रह कर मलाल न कर।
उठाई कलम लिख दिया महाभारत-
सोच के लफ्ज लड़ रहे हैं
आगे कोई जबाब न कर।
अंदर ही अंदर युद्ध चला है
चुप रहकर राज ऐ योग कोई सवाल न कर।।